पहले पहल तुम्हें जब मैंने देखा
सोचा था
इससे पहले ही
सबसे पहले
क्यों न तुम्हीं को देखा!

अब तक
दृष्टि खोजती क्या थी,
कौन रूप, क्या रंग
देखने को उड़ती थी
ज्योति-पंख पर
तुम्हीं बताओ
मेरे सुन्दर
अहे चराचर सुन्दरता की सीमा रेखा!

पहले पहल तुम्हें जब मैंने देखा!

 त्रिलोचन की कविता 'स्नेह मेरे पास है'

Book by Trilochan:

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त्रिलोचन
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है। वे आधुनिक हिंदी कविता की प्रगतिशील त्रयी के तीन स्तंभों में से एक थे। इस त्रयी के अन्य दो सतंभ नागार्जुन व शमशेर बहादुर सिंह थे।

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