वह बाज़ार की भाषा थी
जिसका मैंने मुस्कुराकर
प्रतिरोध किया
वह कोई रेलगाड़ी थी जिसमें बैठकर
इस भाषा से
छुटकारा पाने के लिए
मैंने दिशाओं को लाँघने की कोशिश की
मैंने दूरबीन ख़रीदकर
भाषा के चेहरे को देखा
बारूद-सी सुलगती कोई दूसरी चीज़
भाषा ही है यह मैंने जाना
मरे हुए आदमी की भाषा
लगभग ज़ंग खा चुकी होती है
सबसे ख़तरनाक शिकार
भाषा की ओट में होता है।