लेख: मुदित श्रीवास्तव
कनाडा में एक शहर है, टोरंटो। यहाँ हर साल एक उत्सव मनाया जाता है, जिसे ‘नुइट ब्लांशे’ कहा जाता है। इसका मतलब होता है, ‘सफ़ेद रात’ या यह कह लें कि ‘जगमगाती हुई रात’। यह उत्सव ‘कंटेम्प्ररी आर्ट’ पर केन्द्रित होता है। रात-भर चहल-पहल बनी रहती है। शहर के सारे म्यूज़ियम और आर्ट गैलिरियाँ रात-भर खुली होती हैं। यह उत्सव शाम को 6 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 6 बजे तक जारी रहता है। हर साल लोग इसका बेसब्री से इंतज़ार करते हैं और एक रात के लिए पूरा शहर किसी एक बड़े स्टेज की तरह सज जाता है, सड़कों को ही आर्ट गेलेरीज़ में तब्दील कर दिया जाता है। अलग-अलग तरह से नाटक, डांस, गीत-संगीत, और खान-पान रात-भर जारी रहता है।
इसी उत्सव में एक बार शहर की सबसे व्यस्त सड़क ‘हेगरमेन स्ट्रीट’ से होने वाले शोर और प्रदूषण का विरोध करने के लिए कुछ कलाकारों एक तरक़ीब अपनायी। उन्होंने इस सड़क पर किताबें बिछानी शुरू कर दीं। कुल मिलाकर दस हज़ार किताबें सड़कों पर बिछा दी गयीं। यह सारी किताबें ‘द साल्वेशन आर्मी’ नाम की एक संस्था ने दान में दी थीं। इन किताबों को सड़क के बग़ल से पैदल गुज़रते हुए कोई भी उठा सकता था। अपनी पसंद की किताब कोई भी अपने घर ले जा सकता था। कोई भी वहाँ बैठकर भी पढ़ सकता था। ऐसा करने से कम से कम एक रात के लिए तो उस सड़क पर गाड़ियाँ नहीं चलीं। शोर और प्रदूषण को किताबों के ज़रिए रोक दिया गया। लोगों ने पैदल घूमना और किताबें पसंद करना शुरू कर दिया। थोड़ी ऊँचाई से देखने पर ऐसा लगता था जैसे यह एक नदी हो। किताबों की नदी। देखते ही देखते कुछ घंटों में एक-एक करके किताबें कम होती गयीं और अगले दिन सड़क फिर से चालू हो गयी।
इस कारनामे को अंजाम दिया स्पेन के एक कलाकारों के समूह नें जिसका नाम ‘लुज़िन्तररुप्तुस’ है। क्या तुम अपने शहर में ऐसी नदी देखना चाहोगे? और क्या तुम इस तरह की किताबी नदी में एक डुबकी लगाना चाहोगे?
‘चकमक’ के नवम्बर 2020 अंक से साभार। ‘चकमक’ का सब्सक्रिप्शन इस लिंक से लिया जा सकता है।