‘Chal Di Ji, Chal Di’, a poem by Ashok Chakradhar

मैंने कहा-
चलो
उसने कहा-
ना
मैंने कहा-
तुम्हारे लिए ख़रीदभर बाज़ार है
उसने कहा-
बन्द
मैंने पूछा-
क्यों
उसने कहा-
मन
मैंने कहा-
न लगने की क्या बात है
उसने कहा-
बातें करेंगे यहीं
मैंने कहा-
नहीं, चलो कहीं
झुँझलायी
क्या-आ है?
मैनें कहा-
कुर्ता ख़रीदना है अपने लिए।
चल दी जी, चल दी
वो ख़ुशी-ख़ुशी जल्दी।

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Book by Ashok Chakradhar:

अशोक चक्रधर
डॉ॰ अशोक चक्रधर (जन्म ८ फ़रवरी सन् १९५१) हिंदी के विद्वान, कवि एवं लेखक है। हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध वे कविता की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से भी एक है। 2014 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।