चंदन है तो महकेगा ही
आग में हो या आँचल में

छिप न सकेगा रंग प्यार का
चाहे लाख छिपाओ तुम,
कहने वाले सब कह देंगे
कितना ही भरमाओ तुम,
घुँघरू है तो बोलेगा ही
सेज में हो या साँकल में

चंदन है तो महकेगा ही
आग में हो या आँचल में

अपना सदा रहेगा अपना
दुनिया तो आनी जानी,
पानी ढूँढ रहा प्यासे को
प्यासा ढूँढ रहा पानी,
पानी है तो बरसेगा ही
आँख में हो या बादल में

चंदन है तो महकेगा ही
आग में हो या आँचल में

कभी प्यार से, कभी मार से
समय हमें समझाता है,
कुछ भी नहीं समय से पहले
हाथ किसी के आता है,
समय है तो वह गुज़रेगा ही
पथ में हो या पायल में

चंदन है तो महकेगा ही
आग में हो या आँचल में

बड़े प्यार से चाँद चूमता
सबके चेहरे रात भर,
ऐसे प्यारे मौसम में भी
शबनम रोयी रात भर,
दर्द है तो वह दहकेगा ही
घन में हो या घानल में

चंदन है तो महकेगा ही
आग में हो या आँचल में!

रमानाथ अवस्थी की कविता 'हम तुम'

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