मेरे गाँव में एक व्यक्ति के
कई रूप थे

वो खेतों में बोता था
बादल
और सबकी थालियों में
फ़सल उगाता था

वो शादियों में
बन जाता था पनहारा,
चीरता था लकड़ी
मरणों पर

उसके पसीने में
टूटती थी रोशनी
निकलते थे
इंद्रधनुष
और उसकी आँसू की बूँद
अड़ियल थी
आसमान में जाकर
लगा देती थी धरती पर
सूर्य ग्रहण

वो बुनता था सबके सिर पर
छतें
पर अपने ऊपर
टाँकना पड़ता था रोज़ उसे
नँगा आसमान

वो कुएँ खोदने वाला
साहसी भी था
और उसी में
कूद जाने वाला
कायर भी

मेरे गाँव में एक व्यक्ति
था।

Recommended Book:

Previous articleमेरा अपनापन
Next articleबड़ा आश्चर्य है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here