प्रभात की किताब ‘जीवन के दिन’ पर एक टिप्पणी
कविता संग्रह: 'जीवन के दिन' - प्रभात
टिप्पणी: अमर दलपुरा
मनुष्य के पास न कोई दिशासूचक यन्त्र था अपने जीवन के प्रारम्भ में, न भूगोलवेत्ता था, न...
‘मैं बनूँगा गुलमोहर’ – सुशोभित सक्तावत
कविता संग्रह: 'मैं बनूँगा गुलमोहर' (प्रेम कविताएँ व गद्य गीत)
कवि: सुशोभित सक्तावत
प्रकाशन: लोकोदय प्रकाशन
लाल रंग प्रेम का रंग है। इसलिए लाल रंग उत्सव का भी...
‘मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है’ को पढ़ते हुए
कविता संग्रह: 'मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है' - रश्मि भारद्वाज
प्रकाशन: सेतु प्रकाशन (setuprakashan.com)
कविताएँ पढ़ते वक़्त सोचा एक पाठक के तौर पर मैं...
‘कैवल्य’ – आत्मावलोकन की कविताएँ
आत्मावलोकन और प्रेम आखरों का संग्रह है - कैवल्य
किताब - कैवल्य (कविता संग्रह)
रचनाकार - अंजना टंडन
'कैवल्य' अंजना टंडन का पहला कविता संग्रह है जो...
‘देस’ – विनोद पदरज
सबसे पहले मेरे कहने के साहस को आलोचक दृष्टि से न देखकर बल्कि पाठकीय दृष्टिकोण से देखने का अनुरोध है। हमारा सारा इतिहास स्मृतियों...
मंटो और ग़ालिब की दोज़ख
जिस किताब की बात आज मैं करने जा रहा हूँ उसे रबिशंकर बल ने मूल रूप से बंगला में लिखा है और इसका अनुवाद...
निषिद्ध – एक प्रहार लैंगिक विषमता के विरुद्ध
निषिद्ध — एक आवाज़ …लैंगिक विषमता के विरुद्ध
जैसा कि सर्वविदित है तसलीमा नसरीन ने हमेशा ही समाज में औरतों को समानता का अधिकार दिलाने,...
सियाह औ सुफ़ैद से कहीं अधिक है यह ‘सियाहत’
किताब समीक्षा: डॉ. श्रीश पाठक - आलोक रंजन की किताब 'सियाहत'
आज की दुनिया, आज का समाज उतने में ही उठक-बैठक कर रहा जितनी मोहलत उसे...
‘गगन दमामा बाज्यो’ और इंकलाब शुरू!
किताब: 'गगन दमामा बाज्यो'
लेखक: पीयूष मिश्रा
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन समूह
मूल्य: ₹125 मात्र
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भगत सिंह - कैसी छवि बनती है यह नाम सुनकर ? टोपी पहने हुए...
यशपाल का ‘झूठा सच’
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के एक क्रांतिकारी होने से लेकर हिन्दी लेखक बनने तक का सफर तय करने वाले यशपाल का उपन्यास 'झूठा सच' भारत...
गवाचीयाँ गल्लां – अनवर अली
"हिंदू मुसलामानों की तमाम बातें सुनाते हुए अनवर ख़ुद कहीं भी मज़हबी या कट्टर नहीं नज़र आते। अपनी जवानी की हिमाक़तें, बचपन की बेवकूफ़ियाँ आप क़ुबूल करते चलते हैं। इसलिए किताब किसी मक़ाम पर भी किसी एक ज़ात के ख़िलाफ़ या किसी एक के हक़ में खड़ी होती ही नहीं है, बल्कि इस तरह की हर अपरिपक्वता की खिल्ली उड़ाती अपनी राह चलती जाती है।"
मॉरी से मुलाक़ात
अमेरिकी लेखक और स्तम्भकार मिच एलबॉम की किताब 'ट्यूज़डेज़ विद मॉरी' (Tuesdays with Morrie) एक मशहूर और प्रशंसित किताब है। इस किताब में मिच...