Poems: Usama Hameed

1

जब जब धूप
पकती है,
पीली पड़ती है
शाम, मायूस
मुँह बिसोरे
चली आती है-
एक उम्र गुज़र जाती है!

2

तुम्हारे जाते ही
मुहब्बत ज़दा सारे ख्वाब
खुदकुश हमलावर की तरह
भक्क से उड़ गए,
मगर ये चीथड़े
जो गुल मोहर के फूलों की मानिंद
बिखरे पड़े हैं
ये मैं हूँ…

उसामा हमीद
अपने बारे में कुछ बता पाना उतना ही मुश्किल है जितना खुद को खोज पाना.