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कविताएँ: अगस्त 2020
सुनो मछुआरे
सुनो मछुआरे
जितने जुगनू
तुम्हारी आँखों में
चमक रहे हैं न
टिम-टिम
तारों के जैसे,
वे क्या
हमेशा चमकते रहते हैं
इसी तरह?सुनो मछुआरे
जब तुम
जाल फेंकते हो
सागर में,
तुम्हारी बाँहों की मछलियाँ
मचल-मचल...
नदी, स्वप्न और तुम्हारा पता
मैं जग रहा हूँ
आँखों में गाढ़ी-चिपचिपी नींद भरे
कि नींद मेरे विकल्पों की सूची में खो गयी है कहीं।जिस बिस्तर पर मैं लेटा
चाहे-अनचाहे मेरी उपस्थिति...
इतना मालूम है
अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़
सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा
मैं यहाँ हूँ मगर उस कूचा-ए-रंग-ओ-बू में
रोज़ की तरह...
एक सपना यह भी
सुख से, पुलकने से नहीं
रचने-खटने की थकान से सोयी हुई है स्त्रीसोयी हुई है जैसे उजड़कर गिरी सूखे पेड़ की टहनी
अब पड़ी पसरकरमिलता जो सुख वह...
कुल्हाड़ी
यहाँ लकड़ी कटती है लगातार
थोड़ा-थोड़ा आदमी भी कटता हैकिसी की
उम्र कट जाती है
और पड़ी होती धूल में टुकड़े की तरहशोर से भरी
इस गली में
कहने...
वह इच्छा है मगर इच्छा से कुछ और अलग
वह इच्छा है मगर इच्छा से कुछ और अलग
इच्छा है मगर इच्छा से ज़्यादा
और आपत्तिजनक मगर ख़ून में फैलती
रोशनी के धागों-सी आत्मा में जड़ें...
कमाल का स्वप्न, नींद, प्रतीक्षारत
कमाल का स्वप्न
जीवन के विषय में पूछे जाने पर
दृढ़ता से कह सकता हूँ मैंकमाल का स्वप्न था..जैसा देखा, हुआ नहीं
जैसा हुआ, देखा नहीं!
नींद
कहानी सुनाकर
दादी...
लैंग्स्टन ह्यूज की कविता ‘हारलम’
Poem: Harlem by Langston Hughes
Translation: Arjita Mitalक्या होता है जब कोई सपना अधूरा रह जाता है?क्या वह धूप में रखी
किशमिश की तरह मुरझा जाता...
पसीने की गन्ध
कुछ बातें देर तक गूँजती हैं
बिना पहाड़ और दीवार से टकराएशोर में वे
चुपके-से अपनी जगह बना लेती हैं और
बच जाती हैं हमेशा के लिएबहुत से...
स्वप्न में पूछा तुमने
'Swapn Mein Poochha Tumne', a poem by Rag Ranjanस्वप्न में पूछा तुमने
क्या कहोगे मुझसे आख़िरी बार
हो यही बस एक मुलाक़ात
फिर ना मिलना हो यदि...
वास्तु, स्वप्न और प्रेम
'Vastu, Swapn Aur Prem', Hindi Kavita by Rahul Boyalअपने घर का दरवाज़ा पूरब की ओर खुलता है
मुझे सूरज इसी दरवाज़े पर मिलता है रोज़
जब...
ख़्वाब
'Khwab', a poem by Shahbaz Rizviसुब्ह दम ख़्वाब के हिसार में सोया हुआ बच्चा
जब अपने हाथ से तारों के चेहरे को छुपाता है
जब अपनी जेब...