अब एक कम है तो एक की आवाज़ कम है
एक का अस्तित्व, एक का प्रकाश
एक का विरोध
एक का उठा हुआ हाथ कम है
उसके मौसमों के वसन्त कम हैं

एक रंग के कम होने से
अधूरी रह जाती है एक तस्वीर
एक तारा टूटने से भी वीरान होता है आकाश
एक फूल के कम होने से फैलता है उजाड़—सपनों के बाग़ीचे में

एक के कम होने से कई चीज़ों पर फ़र्क़ पड़ता है एक साथ
उसके होने से हो सकनेवाली हज़ार बातें
यकायक हो जाती हैं कम
और जो चीज़ें पहले से ही कम हों
हादसा है उनमें से एक का भी कम हो जाना

मैं इस एक के लिए
मैं इस एक के विश्वास से
लड़ता हूँ हज़ारों से
ख़ुश रह सकता हूँ कठिन दुःखों के बीच भी

मैं इस एक की परवाह करता हूँ…

कुमार अम्बुज की कविता 'एक स्त्री पर कीजिए विश्वास'

Book by Kumar Ambuj:

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कुमार अम्बुज
कुमार अंबुज (१३ अप्रैल १९५७), जिनका मूल नाम पुरुषोत्‍तम कुमार सक्‍सेना है और जिनका कार्यालयीन रिकॉर्ड में जन्‍म दिनांक 13 अप्रैल 1956 है, हिन्दी के कवि हैं। उनका पहला कविता संग्रह किवाड़ है जिसकी शीर्षक कविता को भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार मिला। 'क्रूरता' नामक इनका दूसरा कविता संग्रह है। उसके बाद 'अनंतिम', 'अतिक्रमण' और फिर 2011 में 'अमीरी रेखा' कविता संग्रह विशेष रूप से चर्चित हुए हैं।

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