हम तो बस इक पेड़ हैं, खड़े प्रेम के गाँव
ख़ुद तो जलते धूप में, औरों को दें छाँव
आत्मा के सौंदर्य का, शब्द रूप है काव्य
मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य
कविता और संगीत हैं, भरे पेट के काम
भूखा हो जब पेट तो सब कुछ लगे हराम
दोहे जैसे अधर हैं, ग़ज़ल सरीखे नैन
बिन तुमको गाये मिले कहाँ गीत को चैन
जीवन यात्रा में मरण है बस एक सराय
उपन्यास के मध्य हो ज्यों कोई अध्याय
तन से भारी साँस है, इसे समझ लो ख़ूब
मुर्दा जल में तैरता, ज़िन्दा जाता डूब
झूठे सिक्के चल रहे सच्चाई की हाट
सच्चाई के घर मिली केवल टूटी खाट
जब तक डोरी हाथ में देख हवा का ढंग
पता नहीं किस पल कटे किसकी तनी पतंग
भले रहें हम न रहें, मगर रहेंगे गीत
ये वाणी के मंत्र हैं, काल सके न जीत
मनिहारिन तू जा रही चूड़ी तो पहराय
तड़के ना ये सेज पर वो गुर देय बताय!
गोपालदास नीरज की कविता 'प्यार की कहानी चाहिए'