इस एक बूँद आँसू में
चाहे साम्राज्य बहा दो
वरदानों की वर्षा से
यह सूना पन बिखरा दो

इच्छाओं की कंपन से
सोता एकांत जगा दो,
आशा की मुस्कुराहट पर
मेरा नैराश्य लुटा दो!

चाहे जर्ज़र तारों में
अपना मानस उलझा दो,
इन पलकों के प्यालों में
सुख का आसव छलका दो,

मेरे बिखरे प्राणों में
सारी करुणा ढुलका दो
मेरी छोटी सीमा में
अपना अस्तित्व मिटा दो!

पर शेष नहीं होगी यह
मेरे प्राणों की क्रीड़ा,
तुमको पीड़ा में ढूँढा
तुममें ढूँढूगी पीड़ा।

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महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा (२६ मार्च १९०७ — ११ सितंबर १९८७) हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।

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