उम्मीदों
सपनों
पत्थरों
लोगों
फूलों
तितलियों
तारों को मारोगे?

मरीज़ों
दवाओं
स्त्रियों
दलितों
मछलियों
झीलों
समुन्दरों को मारोगे?

हिरणों
मेमनों
मौसमों
जंगलों
पर्वतों
नदियों
पुलों को मारोगे?

पलों
दिनों
हफ़्तों
महीनों
सालों
युगों
सदियों को मारोगे?

शब्दों
अक्षरों
वर्णों
स्वरों
शैलियों
भाषाओं
व्याकरणों को मारोगे?

रातों
साँसों
चुम्बनों
उमंगों
ख़्वाबों
भावनाओं
विचारों
कविताओं को मारोगे?

बच्चों
रोटियों
घरों
माँओं
बहिनों
भाइयों
साथियों को मारोगे?

किताबों
कार्यों
कोंपलों
कोमलताओं
कौमार्य
कमेरों
क्रान्ति को मारोगे?

समय
समता
सरोकार
सवालों
सन्ध्या
सुबह
साहित्य को मारोगे?

जन्म
जंगल
ज़ुबान
जीभ
ज़मीन
जनता
जनतन्त्र को मारोगे?

आज
आज़ादी
अधिकार
अदब
आदमी
आन्दोलन
आम्बेडकरों को मारोगे?

मन्तव्यों
मक़सदों
मतलबों
मनुष्यों
मुद्दों
मसलों
मंज़िलों को मारोगे?

आसमान
आँसू
आलोक
आविष्कार
आधुनिकता
अक़्ल
आश्चर्यों को मारोगे?

धड़ा धड़
सड़ा सड़
फड़ा फड़
गड़ा गड़
तड़ा तड़
धड़-धड़-धड़
तड़-तड़-तड़
और क्या-क्या मारोगे?

जयप्रकाश लीलवान की कविता 'आज़ादी का आसमान'

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