तुम्हारी भाषा में
दिखती है सहानुभूति
स्त्री के प्रति,
तुमने रची सदियों से
अनेक कहानियाँ, कविताएँ
स्त्री के पक्ष में,
लेकिन तुम्हें ध्यान रखना होगा
अपनी भाषा और
व्यवहार के दोहरे
मानदंडों का,
स्त्रियाँ रखती हैं अब
कपोत नज़र,
वो भाँप लेती हैं
शब्दों में छिपी
तुम्हारी गिद्ध दृष्टि…

Previous articleबुद्ध बन जाना तुम
Next articleदंगा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here