1

तुम्हारे साथ रहकर
मेरे युद्ध रुद्ध हुए हैं,
मेरा तमस छँटता रहा है,
मैं अब मानता हूँ
कि वक्षों के टकराव में
होना चाहिए
केवल आलिंगन का उद्देश्य,
मैं शान्ति को देख सका हूँ
बाघों से घिरे बुद्ध की तरह
इस रण में तुम्हारे शब्द
सूर्यास्त का शंखनाद हैं
सन्धिपत्र है तुम्हारा अंक
और तुम्हारी देह पर
मेरे चुम्बनों के कम्पित हस्ताक्षर हैं।

2

भेद जानने के लिए
ज़रूरी था भेद देना
मैं दोनों में ही निष्फल रहा
ताड़ नहीं पाया उसकी दृष्टि
वे इतनी चंचल कि निर्दोष लगती थीं
और इतनी मूक
कि विद्रोह का भय होता था
उसकी वे आँखें कंजई थीं
उसकी आँखों में हिरन रहते थे।

3

प्रेम का आगमन
जैसे सुबह-सुबह डाल के छोर पर
फुदकती एक फुनगी,
माघ की दुपहर में
पीठ के बाद
गर्दन पर फिसल आयी धूप,
इतना प्रतीक्षित कि अचानक!

4

मेरी मृत्यु के कई रास्ते खुले हैं
मैं कईयों के निशाने पर हूँ
लोन के ऑफ़र से ज़्यादा
मुझे हत्या की धमकियाँ मिलती हैं,
पर एक बड़ी अटपटी-सी झक से
अभी स्थगित है मेरा मरना,
अभी, बहुत प्यार कर लेने के बाद
तुम्हारी मुँदती हुई आँखें देखना चाहता हूँ।

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