‘Maa Kehti Thi’, a poem by Pratibha Shrivastava

माँ कहती थी-
अपने घर जाना तो
जी लेना ज़िन्दगी
चाहे जैसे,
अभी वैसे ही रहो
जैसे चाहते
भाई, पिता…
फिर पति ने कहा-
यहाँ रहना है तो
मेरी सुनो
वरना उल्टे पाँव
चली जाओ…

माँ ने झूठ कहा था…
वो भी तो
रोज़ रोटी के साथ
अपने सपने सेकती थी

क्यों हर माँ झूठ बोलती है…

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