एक दिन मैं चूम लूँगा―
तुम्हारे माथे की लिपिबद्ध आभा को,
आँखों में ठहरी हुई तन्मयता को,
कानों में अपेक्षित ध्वनि-लिप्सा को,
अधरों पे उठते स्पंदन को,
गालों के स्वच्छन्द अभिरंजन को
गले से बहती अविराम सरगम को,
और चूम लूँगा―
तुम्हारी आच्छादित कामुकता
और मेरी अर्ध-नग्न वासना को।
