मूझे चूमो
और फूल बना दो,
मुझे चूमो
और फल बना दो,
मुझे चूमो
और बीज बना दो,
मुझे चूमो
और वृक्ष बना दो,
फिर मेरी छाँह में बैठ रोम-रोम जुड़ाओ।

मुझे चूमो
हिमगिरि बना दो,
मुझे चूमो
उद्गम सरोवर बना दो,
मुझे चूमो
नदी बना दो,
मुझे चूमो
सागर बना दो,
फिर मेरे तट पर धूप में निर्वसन नहाओ।

मुझे चूमो
खुला आकाश बना दो,
मुझे चूमो
जल भरा मेघ बना दो,
मुझे चूमो
शीतल पवन बना दो,
मुझे चूमो
दमकता सूर्य बना दो,
फिर मेरे अनन्त नील को इन्द्रधनुष-सा लपेटकर
मुझमें विलय हो जाओ।

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Poems by Sarveshwar Dayal Saxena:

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना मूलतः कवि एवं साहित्यकार थे, पर जब उन्होंने दिनमान का कार्यभार संभाला तब समकालीन पत्रकारिता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को समझा और सामाजिक चेतना जगाने में अपना अनुकरणीय योगदान दिया। सर्वेश्वर मानते थे कि जिस देश के पास समृद्ध बाल साहित्य नहीं है, उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता।