अनुवाद: पंखुरी सिन्हा

औंधा पड़ा सपना

प्यार दरअसल फाँसी का
पुराना तख़्ता है, जहाँ हम
सोते हैं! और जहाँ से हमारी
नींद, देखना चाह रही होती है
चिड़ियों की ओर!

मत बनाओ अपने लिए कोई
पालना, किसी भीगी हुई औरत
के बालों से, एक चिड़िया ने
बनाया है एक घोंसला उसमें
ताकि वह मर सके!

तुम्हें बोना है उसे एक दिन
और तुम जान जाओगे
कि दरअसल तुम कुछ भी नहीं
जानते उस बारे में, जिसके बारे में
तुम्हें लगता है तुम जानते हो
पढ़ते हुए देहों पर, अपने अंधे
बनाये हाथों से!

अब तुम्हारे पास बचा है
एक ही उपाय, कि बांध डालो
पेड़ों के मुँह और पलट दो उन्हें
ताकि वे ही प्रतिबिम्बित हों
धरती से, जब वह पुकारे तुम्हें
एक अजीब नाम लेकर!

खुली कविता

मैंने बन्द किए दरवाज़े खिड़कियाँ
पानी के नल, बत्तियाँ, गाड़ियाँ
मैंने बन्द की दीवारें, घर, दिन रात
सपने, ज़ख़्म, गड्ढे, सड़कें
ग़लतियाँ, स्कूल, अस्पताल
बीमारियाँ, फ़ैक्ट्रियाँ
तमाम गिरिजाघर, सरकारें, ग्रह
तमाम क़िस्म के आक्रोश, अफ़सोस
डर, भय, रंग, शब्द, बांधने के उपकरण, ज़िप
ताकि मैं हँस सकूँ अकेले

एक पुरुष को साथ लिया मैंने
बिना बहुत प्रयास
हँसी से ही लिया उसे मैंने
लेकिन क्या इसलिए लिया
और ला पटका दुनिया के आगे
ताकि वह जान सके
कि जो बुराई है
वह ठीक वैसे ही नहीं है
जैसे कि समझ आती है!

प्रबुद्ध कविता

डर बैठ गया है दुनिया के
तल में कुछ देर आराम करने को
ऊपर उसके सर के
कुछ चीटियाँ
जुटाती हैं बीज
एक दो
सात नौ

लेकिन, यहाँ वर्णित है कि
कैसे दाहिने कान से
जन्मा है एक धर्म
लम्बी टाँगों वाला!
मध्यम मार्ग के आस्थावान
पुजारी लोग, पूजने को उत्सुक उसे
वामपंथी भी
वे भी तत्पर
जिनकी ख़ुद हो रही है पूजा!
और इस तरह होती
दुनिया में कितनी समझदारी
और भलमनसाहत!
है न?

लेकिन यहाँ लिखा है कैसे
बाएँ कान से पैदा हो रहा था
ग़ुस्सा—कितनी मनोदशाएँ
बाढ़, युद्ध
और तत्पर हो रहे थे
दक्षिणपंथी उन्हें पूजने को
वे भी हो रहे थे तत्पर
जो ख़ुद पूजे जा रहे थे
उन्हें पूजने को!

लेकिन तुम केवल थामो
मोमबत्ती, ताकि मैं लिख सकूँ!

पोलिश कवयित्री यूस्टीना बारगिल्स्का की कविताएँ

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