ये पहली नज़्म
तेरे हर्फ़ जैसे मौतबर होंठों की ख़ातिर है
तेरी बे-रब्त साँसों के लिए है
तेरी आँखों की ख़ातिर है
ये पहली नज़्म
उन जज़्बों की ख़ातिर है
जिन्हें छींटा पड़ी मिट्टी से मैं ताबीर करता हूँ
जिन्हें मैं रात में इक इक नफ़स
ज़ंजीर करता हूँ
जिन्हें मैं अपनी शिद्दत से
सदा ए इंतिहा ए हुस्न ए आलम-गीर करता हूँ
ये पहली नज़्म
मेरे ख़्वाब की ख़ातिर है
जिस तक तेरे क़दमों की रसाई होने वाली है
ये पहली नज़्म
उस शब के लिए है
जो मेरी ज़िन्दगी भर की कमाई होने वाली है…

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तसनीफ़
तसनीफ़ हिन्दी-उर्दू शायर व उपन्यासकार हैं। उन्होंने जामिआ मिल्लिया इस्लामिया से एम. ए. (उर्दू) किया है। साथ ही तसनीफ़ एक ब्लॉगर भी हैं। उनका एक उर्दू ब्लॉग 'अदबी दुनिया' है, जिसमें पिछले कई वर्षों से उर्दू-हिन्दी ऑडियो बुक्स पर उनके यूट्यूब चैनल 'अदबी दुनिया' के ज़रिये काम किया जा रहा है। हाल ही में उनका उपन्यास 'नया नगर' उर्दू में प्रकाशित हुआ है। तसनीफ़ से [email protected] पर सम्पर्क किया जा सकता है।

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