टर्म्स एण्ड कण्डीशंस एप्लाई

अनुबंध में
सभी कॉलम लिखे गए
बड़े अक्षरों में
क़रार हुआ
रोटी कपड़ा और
मकान की ‘गारण्टी’ के साथ,
पर कोने में लिखा
प्रेम*
और उस पर टिका सितारा
कहता है-
‘टर्म्स एण्ड कण्डीशंस एप्लाई’!

सन्नाटे का शोर

भरे पूरे
जंगल में
सन्नाटे का
शोर

शाखों से
गिरती
पीली पत्तियाँ
आवाज़
नहीं करती
टूटकर
गिरते वक़्त

हवाएँ
ले आती हैं
उन्हें
ज़मीन पर
घुटनों
के बल

तब
शोर
करती हैं
पैरों से
कुचले
जाने पर

पर पैर
कर देते हैं
अनसुना
और
वे
मिल जाती हैं
मिट्टी में
नम होकर।

आज चाँद रात में

दूर हो
आकाश में
हाथ बढ़ाऊँ
तो
छू न सकूँ

पास जाऊँ
तो
जा न सकूँ

देखूँ
अपलक
चाहूँ
बेधड़क
पर
बेसबब

बैठी हूँ
पानी भर
थाल लिए
छू सकूँ
क़रीब से

पर
सरकते हो
जब
शरारत से
सरका लेती हूँ
थाल
मैं भी
हौले से

आज
चाँद रात में
देखूँ
तुम जीते
या
मैं हारी!

मौन प्रेम

प्रेम
तब तक
मौन है
जब तक
सुना जाए,
अनसुना
होते ही
शोर ही
शोर है।

समर्पित प्रेम

समर्पित प्रेम का
धीरे-धीरे
ख़त्म होना
और
परिकल्पित प्रेम से
अचानक
साक्षात्कार होना,
दोनों में
व्यक्ति
एक-सा
महसूस करता है
‘ठगा’-सा।

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