कविता संग्रह ‘भेड़ियों ने कहा शुभरात्रि’ से

ख़ाली हाथ

समुद्र के किनारे
रेत पर लिखता हूँ
कविता…
लहरें आती हैं
और बहाकर ले जाती हैं
मेरे शब्द…
लौटता हूँ घर
ख़ाली हाथ
रोज़ बरोज़…
रोज़ हँसते हैं
मछुआरे मुझ पर!

कविता ने

कविता ने
दूर किया मुझे
बहुत सी ग़ैरज़रूरी चीज़ों से
बहुत से ग़ैरज़रूरी दृश्यों से।
जगाए रखा मुझे
कविता ने
रात-रात भर
जुगनू दिखाए
झींगुरों का संगीत सुनाया
अन्धेरे का डर दूर भगाया
और सपनों की कथा सुनायी।
कविता ने रोका मुझे
घटिया लतीफ़ों पर हँसने से
रोका मुझे
दंगाइयों की भीड़ में
शामिल होने से
कविता ने बरक़रार रखी
मेरी आँखों की नमी।
कविता ने
मेरा धर्मान्तरण किया
और भीतर के मनुष्य को
बचाये रखा।

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मणि मोहन
जन्म: 02 मई 1967, सिरोंज, विदिशा (म.प्र.) | शिक्षा: अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर और शोध उपाधि | सम्प्रति: शा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गंज बासौदा में अध्यापन। प्रकाशन: वर्ष 2003 में कविता संग्रह 'क़स्बे का कवि एवं अन्य कविताएँ', 2012 में रोमेनियन कवि मारिन सोरेसक्यू की कविताओं की अनुवाद पुस्तक 'एक सीढ़ी आकाश के लिए', 2013 में कविता संग्रह 'शायद', 2016 में कविता संग्रह 'दुर्दिनों की बारिश में रंग' तथा तुर्की कवयित्री मुईसेर येनिया की कविताओं की अनुवाद पुस्तक 'अपनी देह और इस संसार के बीच', 2020 में कविता संग्रह 'भेड़ियों ने कहा शुभरात्रि' प्रकाशित। सम्पर्क: [email protected]

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