“मेरे मैसेन्जर पर एक अज्ञात बंदे ने मेसेज किया था।”

“वो क्या?”

“आप कितनी प्यारी हैं, आपकी स्माइल, आपकी आँखें, क्या कहूँ जैसे खुशियाँ बिखेरती हुई। हो सकता है मेरी बातें आपके साथी को अच्छी ना लगे, पर बिन कहे मैं रह नहीं पाया।”

“स्टुपिड मैन, तुमने क्या किया फिर?”

“मैंने उसे अपनी इंस्टाग्राम की लिंक भेज दी।”

“व्हाट द हेल।”

नम्रता श्रीवास्तव
अध्यापिका, एक कहानी संग्रह-'ज़िन्दगी- वाटर कलर से हेयर कलर तक' तथा एक कविता संग्रह 'कविता!तुम, मैं और........... प्रकाशित।