दुःखी-दुःखी हम दोनों
आओ बैठें
अलग-अलग देखें, आँखों में नहीं
हाथ में हाथ न लें
हम लिए हाथ में हाथ न बैठे रह जाएँ

बहुत दिनों बाद आज इतवार मिला है
ठहरी हुई दुपहरी ने यह इत्मीनान दिलाया है।
हम दुःख में भी कुछ देर साथ रह सकते हैं।
झुँझलाए बिना, बिना ऊबे
अपने-अपने में, एक-दूसरे में या
दुःख में नहीं, सोच में नहीं
सोचने में डूबे।
क्या करें?
क्या हमें करना है?
क्या यही हमें करना होगा
क्या हम दोनों आपस ही में
निबटा लेंगे
झगड़ा जो हम में और
हमारे सुख में है!

Book by Raghuvir Sahay:

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रघुवीर सहाय
रघुवीर सहाय (९ दिसम्बर १९२९ - ३० दिसम्बर १९९०) हिन्दी के साहित्यकार व पत्रकार थे। दूसरा सप्तक, सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो हँसो जल्दी हँसो (कविता संग्रह), रास्ता इधर से है (कहानी संग्रह), दिल्ली मेरा परदेश और लिखने का कारण (निबंध संग्रह) उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।

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