अभी भी उनको कहा जाता है कि
फ़लाँ पूजा पति और उसकी लम्बी उम्र के लिए की जाती है
और निकलना पड़ता है घर से लोटा, फूल और चावल के दाने लेकर

पति की लम्बी उम्र होनी चाहिए
भले ही उम्र भर वो ताने दे या हाड़ से माँस अलग कर दे

जब नहीं आया कोई देवता उसको ये बताने कि
पति देवता है
तो भी उसको बोला गया पति देवता है
तुम लगी रहो पूजा-अर्चना में बराबर

तुम पत्नी बनकर हाँ-हाँ करते चलीं
देवी बनाकर तुम पर बहुत यौन हमले हुए

बिना सवाल किये ही तुम पर दोष मढ़े गए
बिना जवाब दिए ही तुम कुलक्षिणी हो गयी

विवाह करने के बाद सन्तान न चाही तो बाँझ
सन्तान जीवित न रह सकी तो डायन हो गयी

विवाह न किया तो समाज ने जीने न दिया
बेवजह ही वैश्या, रण्डी और कलमुई हो गयी

इंसान के अलावा बहुत-से पर्याय बन गए तुम्हारे लिए

पर्यायों के विपरीत
अपना परचम लहराती आयी हैं— स्त्रियाँ!

इंसान हैं
कोई पर्याय नहीं
ये स्थापित करने के लिए लड़ती आयी हैं— स्त्रियाँ!