Tag: Daughter

Antas Ki Khurchan - Yatish Kumar

‘अन्तस की खुरचन’ से कविताएँ

यतीश कुमार की कविताओं को मैंने पढ़ा। अच्छी रचना से मुझे सार्वजनिकता मिलती है। मैं कुछ और सार्वजनिक हुआ, कुछ और बाहर हुआ, कुछ...
Sylvia Plath

सिल्विया प्लाथ की कविता ‘डैडी’

अब और नहीं आप नहीं कर सकते, नहीं कर सकते आप अपने जूते में मुझे पैरों की तरह रखकर मुझ बेचारी अभागिन को तीस सालों से साँस लेने और छींकने...
Jayant Parmar

पेंसिल

1बेंच पे बैठी ब्लू जींस वाली लड़की पेंसिल छीलती है और उसमें से फूटता है इक काला फूल पेंसिल लिखती है काले-काले अक्षर कोरे काग़ज़ पर जैसे काली तितलियाँ!पेंसिल लिखती है सफ़ेद अक्षर आसमान...
Viren Dangwal

समता के लिए

बिटिया कैसे साध लेती है इन आँसुओं को तू कि वे ठीक तेरे खुले हुए मुँह के भीतर लुढ़क जाते हैं सड़क पर जाते ऊँट को...
Girl, Woman

पिता के घर में मैं

पिता क्या मैं तुम्हें याद हूँ? मुझे तो तुम याद रहते हो क्योंकि ये हमेशा मुझे याद कराया गया। फ़ासीवाद मुझे कभी किताब से नहीं समझना पड़ा।पिता...
Ishrat Afreen

अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो

मेरी बिटिया तुझे भी मैंने जन्मा था उसी दुःख से कि जिस दुःख से तेरे भाई को जन्मा तुझे भी मैंने अपने तन से वाबस्ता रखा उतनी ही मुद्दत...

टेलिपैथी

लकी राजीव की कहानी 'टेलीपैथी' | 'Telepathy', a story by Lucky Rajeev"बेटा, ये पलाजो क्या होता है?" मैंने मिनी के बालों में तेल लगाते...
Prayag Shukla

कहा मेरी बेटी ने

'ऐसे नहीं होते कवि' कहा मेरी बेटी ने, ग्यारह साल की— देखती हूँ, बहुत दिनों से नहीं पूछा आपने, पौधों के बारे में।छत पर नहीं गए देखने तारे।बारिश...
Poonam Sonchhatra

बेटी की माँ

'Beti Ki Maa', a poem by Poonam Sonchhatraहम चार बहनें हैं हाँ हाँ और एक भाई भी है सही समझा आपने भाई सबसे छोटा हैलेकिन हम बहनें सौभाग्यशाली रहीं क्योंकि...
Rituraj

माँ का दुःख

कितना प्रामाणिक था उसका दुःख लड़की को दान में देते वक्त जैसे वही उसकी अन्तिम पूँजी होलड़की अभी सयानी नहीं थी अभी इतनी भोली सरल थी कि उसे सुख...
Vishnu Khare

जो मार खा रोईं नहीं

तिलक मार्ग थाने के सामने जो बिजली का एक बड़ा बक्स है उसके पीछे नाली पर बनी झुग्गी का वाक़या है यहचालीस के क़रीब उम्र का बाप सूखी...
Subhadra Kumari Chauhan

मेरा नया बचपन

बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी चिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद कैसे भूला जा...

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Chen Chien-wu

चेन च्येन वू की कविताएँ

ताइवान के नांताऊ शहर में सन् 1927 में जन्मे कवि चेन च्येन वू मंदारिन, जापानी और कोरियाई भाषाओं में पारंगत कवि हैं। अपने कई...
Ekaterina Grigorova

बुल्गारियाई कवयित्री एकैटरीना ग्रिगरोवा की कविताएँ

अनुवाद: पंखुरी सिन्हा सामान्यता मुझे बाल्टिक समुद्र का भूरा पानी याद है! 16 डिग्री तापमान की अनंत ऊर्जा का भीतरी अनुशासन!बदसूरत-सी एक चीख़ निकालती है पेट्रा और उड़ जाता है आकाश में बत्तखों...
Naomi Shihab Nye

नेओमी शिहैब नाय की कविता ‘जो नहीं बदलता, उसे पहचानने की कोशिश’

नेओमी शिहैब नाय (Naomi Shihab Nye) का जन्म सेंट लुइस, मिसौरी में हुआ था। उनके पिता एक फ़िलिस्तीनी शरणार्थी थे और उनकी माँ जर्मन...
Vinita Agrawal

विनीता अग्रवाल की कविताएँ

विनीता अग्रवाल बहुचर्चित कवियित्री और सम्पादक हैं। उसावा लिटरेरी रिव्यू के सम्पादक मण्डल की सदस्य विनीता अग्रवाल के चार काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके...
Gaurav Bharti

कविताएँ: अगस्त 2022

विस्मृति से पहले मेरी हथेली को कैनवास समझ जब बनाती हो तुम उस पर चिड़िया मुझे लगता है तुमने ख़ुद को उकेरा है अपने अनभ्यस्त हाथों से।चारदीवारी और एक...
Nicoleta Crăete

रोमानियाई कवयित्री निकोलेटा क्रेट की कविताएँ

अनुवाद: पंखुरी सिन्हा औंधा पड़ा सपना प्यार दरअसल फाँसी का पुराना तख़्ता है, जहाँ हम सोते हैं! और जहाँ से हमारी नींद, देखना चाह रही होती है चिड़ियों की ओर!मत...
Daisy Rockwell - Geetanjali Shree

डेज़ी रॉकवेल के इंटरव्यू के अंश

लेखक ने अपनी बात कहने के लिए अपनी भाषा रची है, इसलिए इसका अनुवाद करने के लिए आपको भी अपनी भाषा गढ़नी होगी। —डेज़ी...
Kalam Ka Sipahi - Premchand Jeevani - Amrit Rai

पुस्तक अंश: प्रेमचंद : कलम का सिपाही

भारत के महान साहित्यकार, हिन्दी लेखक और उर्दू उपन्यासकार प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में कई रचनाएँ...
Priya Sarukkai Chabria

प्रिया सारुकाय छाबड़िया की कविताएँ

प्रिया सारुकाय छाबड़िया एक पुरस्कृत कवयित्री, लेखिका और अनुवादक हैं। इनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें नवीनतम 'सिंग ऑफ़ लाइफ़ रिवीज़निंग...
aadhe adhoore mohan rakesh

आधे-अधूरे : एक सम्पूर्ण नाटक

आधे-अधूरे: एक सम्पूर्ण नाटक समीक्षा: अनूप कुमार मोहन राकेश (1925-1972) ने तीन नाटकों की रचना की है— 'आषाढ़ का एक दिन' (1958), 'लहरों के राजहंस' (1963)...
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