Tag: Hindi Story
एक चिंगारी घर को जला देती है
अनुवाद: प्रेमचंदएक समय एक गांव में रहीम खां नामक एक मालदार किसान रहता था। उसके तीन पुत्र थे, सब युवक और काम करने में...
कफ़न
'कफ़न' - प्रेमचंदझोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की...
आदमी और कुत्ता
मैं आपके सामने अपने एक रेल के सफर का बयान पेश कर रहा हूँ। यह बयान इसीलिए है कि सफर में मेरे साथ जो...
कानों में कँगना
'कानों में कँगना' - राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह "किरन! तुम्हारे कानों में क्या है?"उसने कानों से चंचल लट को हटाकर कहा - "कँगना।""अरे! कानों में कँगना?"...
मौसी
'मौसी' - भुवेनश्वरमानव-जीवन के विकास में एक स्थल ऐसा आता है, जब वह परिवर्तन पर भी विजय पा लेता है। जब हमारे जीवन का...
काबुलीवाला
मेरी पाँच वर्ष की छोटी लड़की मिनी से पल भर भी बात किए बिना नहीं रहा जाता। दुनिया में आने के बाद भाषा सीखने...
दुलाईवाली
हिन्दी की पहली मौलिक कहानी मानी जाने वाली कहानी 'दुलाईवाली' राजेन्द्रबाला घोष के द्वारा लिखी गयी थी, जिन्हें 'बंग महिला' के नाम से भी जाना जाता है।दुलाई का अर्थ होता है रजाई, दुलाईवाली मतलब रजाईवाली। बंशीधर को, ट्रेन में सफ़र करते वक़्त एक दुलाईवाली बीच-बीच में घूंघट की आड़ से ताक रही है और दूसरी तरफ एक और महिला रो रहीं हैं जिनके पति शायद पिछले स्टेशन पर कहीं छूट गए हैं और जिनकी मदद करने की जिम्मेदारी बंशीधर ने ले ली है। स्टेशन पर उतरकर बंशीधर कैसे इन दो महिलाओं से पार पाते हैं, यह पढ़िए इस रोचक कहानी में!
सुनहला साँप
'सुनहला साँप' - जयशंकर प्रसाद''यह तुम्हारा दुस्साहस है, चन्द्रदेव!''''मैं सत्य कहता हूँ, देवकुमार।''''तुम्हारे सत्य की पहचान बहुत दुर्बल है, क्योंकि उसके प्रकट होने...
लाटी
अगर आपका अतीत आपके सामने आकर खड़ा हो जाए, जिसे आप अपने वर्तमान के साथ खड़ा नहीं कर सकते तो उससे नज़रें मिलाना कितना कठिन होगा? और अगर ऐसे में वह अतीत गूँगा हो, एकटक आपको घूरता सा प्रतीत हो और उसकी नियति का फैसला केवल आपके मौन या मौन न रहने पर निर्भर हो, तो आपका चुनाव इन विकल्पों में से क्या होगा?
ग्यारह वर्ष का समय
"आज पाँच वर्ष मुझे इस स्थान पर आए हुए; संसार में किसी मनुष्य को आज तक यह प्रकट नहीं हुआ। यहाँ प्रेतों के भय से कोई पदार्पण नहीं करता; इससे मुझे अपने को गोपन रखने में विशेष कठिनता नहीं पड़ती। संयोगवश रात्रि में किसी की दृष्टि यदि मुझ पर पड़ी भी तो चुड़ैल के भ्रम से मेरे निकट तक आने का किसी को साहस न हुआ। यह आज प्रथम ऐसा संयोग उपस्थित हुआ है; तुम्हारे साहस को मैं सराहती हूँ और प्रार्थना करती हूँ कि तुम अपने शपथ पर दृढ़ रहोगे।"
माँ-बेटे
'माँ-बेटे' - भुवनेश्वरचारपाई को घेरकर बैठे हुए उन सब लोगों ने एक साथ एक गहरी साँस ली। वह सब थके-हारे हुए खामोश थे।...
माँ
"करूणा द्वार पर आ बैठती और मुहल्ले-भर के लड़कों को जमा करके दूध पिलाती। दोपहर तक मक्खन निकालती और वह मक्खन मुहल्ले के लड़के खाते। फिर भाँति-भाँति के पकवान बनाती और कुत्तों को खिलाती। अब यही उसका नित्य का नियम हो गया। चिड़ियाँ, कुत्ते, बिल्लियाँ चींटे-चीटियाँ सब अपने हो गये। प्रेम का वह द्वार अब किसी के लिए बन्द न था। उस अंगुल-भर जगह में, जो प्रकाश के लिए भी काफी न थी, अब समस्त संसार समा गया था।"