Tag: IGNOU MA Hindi Study Material (MHD)

Ignou MA Hindi Study Material, Ignou MA Hindi, Ignou Hindi, Ignou Upanyaas evam Kahani. Read here the literature pieces from the syllabus of Ignou MA Hindi.

बावरा अहेरी

भोर का बावरा अहेरी पहले बिछाता है आलोक की लाल-लाल कनियाँ पर जब खींचता है जाल को बाँध लेता है सभी को साथ : छोटी-छोटी चिड़ियाँ, मँझोले परेवे, बड़े-बड़े...
Amarkant

डिप्टी कलक्टरी

"लड़का है तो लेकर चाटो! सारी खुराफात की जड़ तुम ही हो, और कोई नहीं! तुम मुझे जिंदा रहने देना नहीं चाहतीं, जिस दिन मेरी जान निकलेगी, तुम्हारी छाती ठंडी होगी!" "आप में क्या खूबी है, साहब, कि आप डिप्टी-कलक्टर हो ही जाएँगे? थर्ड क्लास बी.ए. आप हैं, चौबीसों घंटे मटरगश्ती आप करते हैं, दिन-रात सिगरेट आप फूँकते हैं। आप में कौन-से सुर्खाब के पर लगे हैं?"
Kashinath Singh

सुख

कहानी का शीर्षक 'सुख' है, लेकिन कहानी के नायक को शिकायत है कि उसका दुःख कोई नहीं समझता। ऐसा क्यों, पढ़िए काशीनाथ सिंह की इस अलग मिज़ाज की कहानी में! :)

चिर सजग आँखे उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना

चिर सजग आँखे उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! जाग तुझको दूर जाना! अचल हिमगिरि के हृदय में आज चाहे कम्प हो ले, या प्रलय के आँसुओं में...

भारत माता

भारत माता ग्रामवासिनी! खेतों में फैला है श्यामल धूल भरा मैला सा आँचल, गंगा-यमुना में आँसू जल, मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी! दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन, अधरों में चिर नीरव रोदन, युग-युग के तम...
Harishankar Parsai

तीसरे दर्जे के श्रद्धेय

"लड़कियाँ बैठी थीं, जिनकी शादी बिना दहेज के नहीं होने वाली थी। और लड़के बैठे थे, जिन्हें डिग्री लेने के बाद सिर्फ सिनेमा-घर पर पत्थर फेंकने का काम मिलने वाला है।"
Agyeya

सागर मुद्रा

सागर के किनारे हम सीपियाँ-पत्थर बटोरते रहे, सागर उन्हें बार-बार लहर से डुलाता रहा, धोता रहा। फिर एक बड़ी तरंग आयी सीपियाँ कुछ तोड़ गयी, कुछ रेत में दबा गयी, पत्थर...
Shamser Bahadur Singh

आओ

1 क्‍यों यह धुकधुकी, डर - दर्द की गर्दिश यकायक साँस तूफान में गोया। छिपी हुई हाय-हाय में सुकून की तलाश। बर्फ के गालों में है खोया हुआ या ठंडे पसीने...
Ram Vilas Sharma

संस्कृति और जातीयता

"यदि जातियाँ असंतुष्ट होकर लड़ती रहेंगी तो देश कमजोर होगा।"
Baba Nagarjuna

चंदू, मैंने सपना देखा

चंदू, मैंने सपना देखा, उछल रहे तुम ज्यों हिरनौटा चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से हूँ पटना लौटा चंदू, मैंने सपना देखा, तुम्हें खोजते बद्री बाबू चंदू,...
Raghuvir Sahay

मुझे कुछ और करना था

मुझे कुछ और करना था पर मैं कुछ और कर रहा हूँ मुझे और कुछ करना था इस अधूरे संसार में मुझे कुछ पूरा करना था मकान...

कविता

उसे मालूम है कि शब्दों के पीछे कितने चेहरे नंगे हो चुके हैं और हत्या अब लोगों की रुचि नहीं – आदत बन चुकी है वह किसी गँवार...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)