Ignou MA Hindi Study Material, Ignou MA Hindi, Ignou Hindi, Ignou Upanyaas evam Kahani. Read here the literature pieces from the syllabus of Ignou MA Hindi.
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‘आधे-अधूरे’: अपूर्ण महत्त्वाकांक्षाओं की कलह
'मोहन राकेश का नाटक आधे अधूरे' - यहाँ पढ़ें
मोहन राकेश का नाटक 'आधे-अधूरे' एक मध्यमवर्गीय परिवार की आंतरिक कलह और उलझते रिश्तों के साथ-साथ...
सिक्का बदल गया
जब सिक्का बदल गया, यानी सत्ता बदल गयी तो लोगों का देश, पिंड और समाज भी बदल गया। एक नयी वफादारी उन पर थोप दी गयी और जो कुछ भी उनका अपना था, सब छीन लिया गया।कृष्णा सोबती की यह कहानी बँटवारे और विस्थापन का दुर्भाग्य झेलते लोगों की वेदना और असहाय परिस्थितियों का चित्रण करती है और उनकी सर्वोच्च कहानियों में से एक है।
भोलाराम का जीव
'रिटायर्ड' हो चुके भोलाराम ज़िन्दगी से भी रिटायर हो गए हैं लेकिन उनका जीव (आत्मा) यमदूत को चकमा देकर कहीं भाग गया है। नारद मुनि उसकी खोज में निकलते हैं तो अपनी वीणा तक से हाथ धोने के बाद उस जीव को एक ऐसी जगह पाते हैं जो उम्मीद से बाहर थी। कहाँ मिलता है भोलाराम का जीव, जानने के लिए पढ़िए हरिशंकर परसाई का यह व्यंग्य!"महाराज, आजकल पृथ्वी पर इसका व्यापार बहुत चला है। लोग दोस्तों को फल भेजते है, और वे रास्ते में ही रेलवे वाले उड़ा देते हैं। होज़री के पार्सलों के मोज़े रेलवे आफिसर पहनते हैं। मालगाड़ी के डब्बे के डब्बे रास्ते में कट जाते हैं।"
एक दिन का मेहमान
"वह अंग्रेजी में 'यू' कहती थी, जिसका मतलब प्यार में 'तुम' होता था और नाराजगी में 'आप'। अंग्रेजी सर्वनाम की यह संदिग्धता बाप-बेटी के रिश्ते को हवा में टाँगे रहती थी, कभी बहुत पास, कभी बहुत पराया!"
चीफ की दावत
आज मिस्टर शामनाथ के घर चीफ की दावत थी।शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फुर्सत न थी। पत्नी ड्रेसिंग गाउन पहने, उलझे...
तिरिछ
इस घटना का संबंध पिताजी से है। मेरे सपने से है और शहर से भी है। शहर के प्रति जो एक जन्म-जात भय होता...
पिता
बूढ़े पिता अपना ज़िन्दगी जीने का ढंग नहीं छोड़ते। नई चीज़ें पसंद नहीं आती और पुराने से लगाव नहीं छूटता, चाहे कितनी भी असुविधा हो! नई और पुरानी पीढ़ी के इसी खिंचाव को रेखांकित करती है ज्ञानरंजन की कहानी 'पिता'। पढ़िए। :)
पाजेब
जैनेन्द्र कुमार की यह कहानी एक छोटी सी घटना के ज़रिए बच्चों के मनोविज्ञान और भावनाओं से भी परिचित करवाती है और इसके प्रति बड़े लोगों की अज्ञानता और अनदेखी से भी... पढ़िए हिन्दी की एक उत्कृष्ट कहानी 'पाजेब'!
रोज (गैंग्रीन)
अखबार के एक टुकड़े को पढ़ने और घड़ी में कितना बज गया है यह दोहराने जैसी मामूली चीजों के पीछे का मनोविज्ञान क्या-क्या अर्थ रख सकता है, यह अज्ञेय अपनी कहानी 'रोज़' में दिखाते हैं। बेहद सपाट कथानक किन्तु मनोचित्त की बेहद उलझी हुई गुत्थियाँ। ज़रूर पढ़िए! :)
कर्मनाशा की हार
काले सांप का काटा आदमी बच सकता है, हलाहल ज़हर पीने वाले की मौत रुक सकती है, किंतु जिस पौधे को एक बार कर्मनाशा...
ठाकुर का कुआँ
जोखू ने लोटा मुँह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आयी। गंगी से बोला- "यह कैसा पानी है? मारे बास के पिया नहीं...
अदम्य जीवन
पचास के दशक के आरम्भ में पड़े बंगाल के अकाल के बारे में रांगेय राघव ने यह रिपोर्ताज लिखा था, जो 'तूफानों के बीच' रिपोर्ताज संग्रह में प्रकाशित हुआ। बंगाल के अकाल के दौरान जो बुरी हालत वहाँ रहने वाले लोगों की हुई थी, रांगेय राघव उसे बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करते हैं। यह रिपोर्ताज पच्चीस लोगों के घर में से केवल पाँच लोगों के बचने और एक ही कब्र में तीन-तीन लोगों के दफनाए जाने की घटनाओं का विवरण, और उस समय की बंगाल की हालत बड़े ही संवेदनशील और प्रभावी रूप से हमारे सामने रखता है। रांगेय ने यह रिपोर्ताज केवल उन्नीस वर्ष की आयु में लिखा था जब उन्हें डॉक्टरों के एक दल के साथ रिपोर्टर के रूप में बंगाल भेजा गया था।