कृष्णा सोबती (जन्म-१८ फ़रवरी १९२५, गुजरात में) (सम्बद्ध भाग अब पाकिस्तान में) मुख्यतः हिन्दी की आख्यायिका (फिक्शन) लेखिका हैं। उन्हें १९८० में साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९६ में साहित्य अकादमी अध्येतावृत्ति से सम्मानित किया गया था। अपनी बेलाग कथात्मक अभिव्यक्ति और सौष्ठवपूर्ण रचनात्मकता के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने हिंदी की कथा भाषा को विलक्षण ताज़गी़ दी है। उनके भाषा संस्कार के घनत्व, जीवन्त प्रांजलता और संप्रेषण ने हमारे समय के कई पेचीदा सत्य उजागर किये हैं।
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
सामान्यता
मुझे बाल्टिक समुद्र का
भूरा पानी याद है!
16 डिग्री तापमान की
अनंत ऊर्जा का
भीतरी अनुशासन!बदसूरत-सी एक चीख़
निकालती है पेट्रा और उड़
जाता है आकाश में
बत्तखों...
विनीता अग्रवाल बहुचर्चित कवियित्री और सम्पादक हैं। उसावा लिटरेरी रिव्यू के सम्पादक मण्डल की सदस्य विनीता अग्रवाल के चार काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके...
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
औंधा पड़ा सपना
प्यार दरअसल फाँसी का
पुराना तख़्ता है, जहाँ हम
सोते हैं! और जहाँ से हमारी
नींद, देखना चाह रही होती है
चिड़ियों की ओर!मत...
प्रिया सारुकाय छाबड़िया एक पुरस्कृत कवयित्री, लेखिका और अनुवादक हैं। इनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें नवीनतम 'सिंग ऑफ़ लाइफ़ रिवीज़निंग...
आधे-अधूरे: एक सम्पूर्ण नाटक
समीक्षा: अनूप कुमार
मोहन राकेश (1925-1972) ने तीन नाटकों की रचना की है— 'आषाढ़ का एक दिन' (1958), 'लहरों के राजहंस' (1963)...