Tag: IGNOU MA Hindi Study Material (MHD)

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Madan Veera

घोड़ा

घोड़े के पास सिर्फ़ 'हाँ' में हिलाने के लिए सिर है नर्म पीठ है और दिशाहीन दौड़ के लिए चार टाँगें हैं वह दौड़ता है सवार के हुक्म पर रुकता...
Arrow, Baan, Archery

आज का एकलव्य

यह कविता यहाँ सुनें: https://youtu.be/xGEsqP19JHE ए महाभारत के द्रोणाचार्य! तुमने आज पुनः गुरु-दक्षिणा का ढोंग रचा है लेकिन मैं हूँ एकलव्य आज का सदियों पुराना नहीं तुम्हारी नस-नस से परिचित...
Ravindra Kalia

गौरैया

"जानती हो, मंदिर के कलश पर क्यों बैठी हैं?" "क्यों बैठी हैं?" "क्योंकि इन्होंने एक हिन्दू के घर जन्म लिया है। कुछ संस्कार जन्मजात होते हैं। यह अकारण नहीं है कि विश्राम के लिए इन्होंने मन्दिर को चुना है।" "फितूर भर गया है तुम्हारे दिमाग में।" पत्नी बिफर गई, "अभी थोड़ी देर पहले मैंने देखा था, तीनों मस्जिद के गुम्बद पर बैठी थीं। अज़ान के स्वर उठे तो मन्दिर पर जा बैठीं। लाउड-स्पीकर का कमाल है यह।"

सिलिया

एक नेता ने अखबार में विज्ञापन दिया है कि वह एक शूद्र कन्या से विवाह करना चाहते हैं। सिलिया एक शूद्र कन्या है, उसके सब रिश्तेदार, सब पड़ोसी सिलिया की माँ को सिलिया की शादी उस नेता से करने के लिए कहते हैं। लेकिन सिलिया शादी नहीं करना चाहती.. सिलिया पानी पीना चाहती है.. कुँए से.. अपने दोस्तों के घरों पर.. जब जी चाहे..!
Mridula Garg

हरी बिंदी

भारत की एक विवाहित स्त्री से अगर यह कहा जाए कि एक दिन के लिए वह मान ले कि वह विवाहित नहीं है, तो उसकी आम दिनचर्या में क्या या क्या-क्या बदलाव आएँगे? परिवार की शर्म एक बात है लेकिन पति की अनुपस्थिति तक से यदि स्त्री का व्यवहार अपने प्रति बदलने लगे तो यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है, इसे समझने की शुरुआत हो जानी चाहिए!
Jayant Parmar

पड़

अनुवाद: स्वयं लेखक द्वारा  'पड़' - मृत जानवर, जिसे ढेड लोग काँवरी से उठाकर ले आते हैं और उसकी खाल उधेड़ने के बाद खाने के...
Dalpat Chauhan

व्यथा

अनुवाद: मायाप्रकाश पाण्डेय मैं भी हैरान हूँ इस परकीय संस्कृति में जन्म लेकर त्रस्त हृदय मेरे तू और तुम भी चलो प्रिये चलो द्वार-द्वार पर बैठाए मंदिरों को फेंक दें खाई...
Asghar Wajahat

स्विमिंग पूल

"आज मैंने वी.आई.पी. को नालें में तैरते देखा था। वे बहुत खुश लग रहे थे। नाले में डुबकियाँ लगा रहे थे। हँस रहे थे। किलकारियाँ मार रहे थे। उछल-कूद रहे थे, जैसा लोग स्विमिंग पूल में करते हैं!"
Raghuvir Sahay

दे दिया जाता हूँ

मुझे नहीं मालूम था कि मेरी युवावस्था के दिनों में भी यानी आज भी दृश्यालेख इतना सुन्दर हो सकता है : शाम को सूरज डूबेगा दूर मकानों की क़तार सुनहरी...

जो तुम आ जाते एक बार

'Jo Tum Aa Jate Ek Baar', poem by Mahadevi Verma जो तुम आ जाते एक बार! कितनी करूणा कितने संदेश पथ में बिछ जाते बन पराग; गाता प्राणों का...
Dhoomil

मुनासिब कार्रवाई

अकेला कवि कठघरा होता है इससे पहले कि 'वह' तुम्हें सिलसिले से काटकर अलग कर दे कविता पर बहस शुरू करो और शहर को अपनी ओर झुका लो। यह सबूत के...
Om Prakash Valmiki

यह अंत नहीं

"छेड़-छाड़ी हुई है... बलात्कार तो नहीं हुआ... तुम लोग बात का बतंगड़ बना रहे हो। गाँव में राजनीति फैलाकर शांति भंग करना चाहते हो। मैं अपने इलाके में गुंडागर्दी नहीं होने दूँगा... चलते बनो।"
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