Tag: राजनीति
साँप ही तो हो
साँप,
दो-दो जीभें होने पर भी
भाषण नहीं देते?
आदमी न होकर भी
पेट के बल चलते हो
यार!
हम तुम्हारे फूत्कार से नहीं डरते
साँप ही तो हो,
भारत के रहनुमा...
बायोडाटा
"एक ओर तो संतान किसी अदृश्य नली से माँ का खून पी रही थी और दूसरी ओर पिता के हाथ में एक संतरा था, जिसमें बड़ा रस था!"
पढ़िए अखिलेश की कहानी 'बायोडाटा', जिसमें राजनीती केवल एक रोजगार है और सम्बन्ध, प्रेम, दुःख.. सभी बायोडाटा में होने वाले कुछ एडिशन्स भर!
ये खेल क्या है
मिरे मुख़ालिफ़ ने चाल चल दी है
और अब
मेरी चाल के इंतिज़ार में है
मगर मैं कब से
सफ़ेद-ख़ानों
सियाह-ख़ानों में रक्खे
काले सफ़ेद मोहरों को देखता हूँ
मैं सोचता...
लक्ष्य-भेद
बोलो बेटे अर्जुन!
सामने क्या देखते हो तुम?
संसद? सेक्रेटेरिएट? मंत्रालय? या मंच??
अर्जुन बोला तुरन्त
गुरुदेव! मुझे सिवा कुर्सी के कुछ भी नज़र नहीं आता!
पुलकित गुरु बोले...
जो पुल बनाएँगे
जो पुल बनाएँगे
वे अनिवार्यतः
पीछे रह जाएँगे।
सेनाएँ हो जाएँगी पार
मारे जाएँगे रावण
जयी होंगे राम,
जो निर्माता रहे
इतिहास में
बन्दर कहलाएँगे!
अज्ञेय की कविता 'घृणा का गान'
Book by Agyeya:
राजे ने अपनी रखवाली की
राजे ने अपनी रखवाली की
क़िला बनाकर रहा
बड़ी-बड़ी फ़ौजें रखीं।
चापलूस कितने सामन्त आए।
मतलब की लकड़ी पकड़े हुए।
कितने ब्राह्मण आए
पोथियों में जनता को बाँधे हुए।
कवियों ने...
जिसके हम मामा हैं
"समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े हैं।"