Tag: Politics
धिक्कार है
आँख मूँद जो राज चलावै
अंधरसट्ट जो काज चलावै
कहे-सुने पर बाज न आवै
सब का चूसै—लाज न लावै
ऐसे अँधरा को धिक्कार!
राम-राम है बारम्बार!!
कानों में जो रुई...
रोटी माँग रहे लोगों से
रोटी माँग रहे लोगों से किसको ख़तरा होता है?
यार सुना है लाठी-चारज, हल्का-हल्का होता है।
सिर फोड़ें या टाँगें तोड़ें, ये क़ानून के रखवाले,
देख रहे हैं...
कायरों का गीत
शोर करोगे! मारेंगे
बात कहोगे! मारेंगे
सच बोलोगे! मारेंगे
साथ चलोगे! मारेंगे
ये जंगल तानाशाहों का
इसमें तुम आवाज़ करोगे? मारेंगे...
जो जैसा चलता जाता है, चलने दो
दीन-धरम के नाम...
जन-प्रतिरोध
जब भी किसी
ग़रीब आदमी का अपमान करती है
ये तुम्हारी दुनिया,
तो मेरा जी करता है
कि मैं इस दुनिया को
उठाकर पटक दूँ!
इसका गूदा-गूदा छींट जाए।
मज़ाक़ बना...
सामने का वह सब
आप कहते हैं
सामने एक पेड़ है
चलिए मैं माने लेता हूँ
कि सामने एक पेड़ है
हालाँकि जो नहीं है
आप कहते हैं
सामने एक नदी है
चलिए मैं माने...
सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती है
सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है,
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती...
कथा देश की
ढंगों और दंगों के इस महादेश में
ढंग के नाम पर दंगे ही रह गए हैं।
और दंगों के नाम पर लाल ख़ून,
जो जमने पर काला...
गोली दाग़ो पोस्टर
यह उन्नीस सौ बहत्तर की बीस अप्रैल है या
किसी पेशेवर हत्यारे का दायाँ हाथ या किसी जासूस
का चमड़े का दस्ताना या किसी हमलावर की दूरबीन...
होता रहता है वही
'पिछले दिनों' से
कुछ बातें हैं, जो इस देश में हमेशा होती रहती हैं। जैसे कोई विदेशी सत्ताधारी हवाई जहाज़ से उतरता है और हमारी...
ग़ायब लोग
हम अक्षर थे
मिटा दिए गए
क्योंकि लोकतांत्रिक दस्तावेज़
विकास की ओर बढ़ने के लिए
हमारा बोझ नहीं सह सकते थे
हम तब लिखे गए
जब जन गण मन लिखा...
देश काग़ज़ पर बना नक़्शा नहीं होता
यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो?
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रही...
क्यू में लग जाइए
आइए,
क्यू में लग जाइए।
बरसों पुरानी बिखराव की स्थितियाँ
समेटते हुए चले आइए!
क्यू में लग जाइए!
आपकी इज़्ज़त और शान के लिए
रोटी, कपड़ा और मकान के लिए
हमने...