Tag: Sharad Joshi
रेल यात्रा
रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेज़ी से प्रगति कर रही हैं। ठीक कहते हैं। रेलें हमेशा प्रगति करती हैं। वे बम्बई...
होता रहता है वही
'पिछले दिनों' से
कुछ बातें हैं, जो इस देश में हमेशा होती रहती हैं। जैसे कोई विदेशी सत्ताधारी हवाई जहाज़ से उतरता है और हमारी...
एक भूतपूर्व मंत्री से मुलाक़ात
मंत्री थे तब उनके दरवाज़े कार बँधी रहती थी। आजकल क्वार्टर में रहते हैं और दरवाज़े भैंस बँधी रहती है। मैं जब उनके यहाँ...
आलोचना
"लेखक विद्वान हो न हो, आलोचक सदैव विद्वान होता है। विद्वान प्रायः भोण्डी बेतुकी बात कह बैठता है। ऐसी बातों से साहित्य में स्थापनाएँ...
वर्जीनिया वुल्फ से सब डरते हैं
'Virginia Woolf Se Sab Darte Hain', Hasya Vyangya by Sharad Joshi
कुछ दिन हुए हमारे शहर में वह मशहूर पिक्चर लगी, जिसका नाम है 'हू...
बुद्धिजीवियों का दायित्व
लोमड़ी ने कौवे से मार्क्सवाद पर भाषण देने के लिए कहा जिससे कौवे की मुँह की रोटी नीचे गिर जाए, लेकिन कौवे भैया ठहरे बुद्धिजीवी, ऐसे ही थोड़े ही जाने देते!!
क्रमशः प्रगति
"खरगोश का एक जोड़ा था, जिनके पाँच बच्चे थे।
एक दिन भेड़िया जीप में बैठकर आया और बोला - 'असामाजिक तत्त्वों तुम्हें पता नहीं सरकार ने तीन बच्चों का लक्ष्य रखा है।' और दो बच्चे कम करके चला गया।"
शेर की गुफा में न्याय
"जो पशु न्याय की तलाश में शेर की गुफा में घुसा, उसका अंतिम फैसला कितनी शीघ्रता से हुआ, इसे सब जानते हैं।"
अतिथि! तुम कब जाओगे
"यह सच है कि अतिथि होने के नाते तुम देवता हो, मगर मैं भी आखिर मनुष्य हूँ। एक मनुष्य ज्यादा दिनों देवता के साथ नहीं रह सकता। देवता का काम है कि वह दर्शन दे और लौट जाए। तुम लौट जाओ अतिथि। इसके पूर्व कि मैं अपनी वाली पर उतरूँ, तुम लौट जाओ।"
जिसके हम मामा हैं
"समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े हैं।"