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Puru Malav

पुरु मालव की कविताएँ

पार्टनर, तुम्हारी जात क्या है सच ही कहा था शेक्सपियर ने 'नाम में क्या रखा है' जो कुछ है, जाति है नाम तो नाम है, जाति थोड़ी है जो...
Man, Sleep, Painting, Abstract, Closed Eyes, Face

नींद और राजकुँवर

'Neend Aur Rajkunwar', a poem by Nirmal Gupt मैं सोते हुए खर्राटे लेता हूँ इस बात का मेरे सिवा सबको अरसे से पता है कोसों दूर राजमहल में...

पिघलती नींदें

तुम बोते हो नींदें इसलिए कि सपनों की फ़सल काट सको लेकिन कभी सोचा है तुमने उन जलती सुलगती आँखों के बारे में जिनके सपने हर रात के बाद फट पड़ते...
Rahul Boyal

नींद का उचटना

"कभी-कभी दर्द दरिया नहीं होता, एक क़तरा भर होता है। किसी लेटे हुए ख़्याल की आँख से लुढ़ककर तकिये के गाल पर जा टपकता है।" "ये मुहब्बत का वो महीना है जिसमें हवा बदतमीज़ हो जाती है। रात पूरी हो जाती है और मौसम की बेवफ़ाई से आहत सुबह कहीं छुप जाती है।"
Crow

बीती विभावरी जाग री (पैरोडी)

"तू लम्बी ताने सोती है बिटिया 'माँ-माँ' कह रोती है रो-रोकर गिरा दिए उसने आँसू अब तक दो गागरी बीती विभावरी जाग री!" बेढब बनारसी अपनी पैरोडी कविताओं के लिए भी जाने जाते हैं.. पढ़िए जयशंकर प्रसाद की कविता पर लिखी गई उनकी पैरोडी कविता! जयशंकर प्रसाद की कविता का लिंक भी पोस्ट में है!
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