जिन्हें धक्का मारना था,
उन्हें अपनी तरफ़
रहा खींचता

जो बने थे
खुल जाने के लिए
खींचने से,
उन्हें धकेलता रहा
अपने से दूर

लोग दरवाज़े थे
और मैं
साइन बोर्ड पढ़ने में अक्षम
अनपढ़, अल्हड़!

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देवेश पथ सारिया
हिन्दी कवि-गद्यकार एवं अनुवादक। पुरस्कार : भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (2023), स्नेहमयी चौधरी स्मृति सम्मान (2025)। प्रकाशित पुस्तकें : नूह की नाव (कविता संग्रह); स्टिंकी टोफू (कहानी संग्रह); छोटी आँखों की पुतलियों में (कथेतर गद्य); हक़ीक़त के बीच दरार, यातना शिविर में साथिनें (अनुवाद)। संपादन : गोल चक्कर वेब पत्रिका।