आम का मौसम वो कि जिसमें गर्मी पड़े कड़ाक
छपाक छपाक मुँह मारें पानी, पानी में रखें आम
लोग आम। मौसम ख़ास हो के भी आम, सरेशाम
हराम नींदें, बदन पसीने, अबे कमीने लोग ख़ास
वो जो फ़ोन पे देख के तापमान, जताएँ अलार्म
चला के एसी खाएँ आम, करें आराम। लोग आम
पंखे के नीचे गमछे का भी पंखा हाँकते,
दो गरियाते, सौ से खाते गाली।
कोई माली कोई अर्दली कोई मजूर, जी हुजूर!
भाग भाग के करते काम, तमाम दिन, रात
को जाते मण्डी लेने गले-सड़े, कुचे-बचे
नसीब अपने और अपने बच्चों के, आम।

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सहज अज़ीज़
नज़्मों, अफ़सानों, फ़िल्मों में सच को तलाशता बशर। कला से मुहब्बत करने वाला एक छोटा सा कलाकार।

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