‘Aap Use Phone Karein’, a poem by Badrinarayan

आप उसे फ़ोन करें
तो कोई ज़रूरी नहीं कि
उसका फ़ोन ख़ाली हो
हो सकता है उस वक़्त
वह चाँद से बतिया रही हो
या तारों को फ़ोन लगा रही हो

वह थोड़ा धीरे बोल रही है
सम्भव है इस वक़्त वह किसी भौंरे से
कह रही हो अपना संदेश
हो सकता है वह लम्बी, बहुत लम्बी बातों में
मशग़ूल हो
हो सकता है
एक कटा पेड़
कटने पर होने वाले अपने
दुःखों का उससे कर रहा हो बयान

बाणों से विंधा पखेरू
मरने के पूर्व उससे अपनी अंतिम
बात कह रहा हो

आप फ़ोन करें तो हो सकता है
एक मोहक गीत आपको थोड़ी देर
चकमा दे और थोड़ी देर बाद
नेटवर्क बिजी बताने लगे
यह भी हो सकता है एक छली
उसके मोबाइल पर फेंक रहा हो
छल का पासा

पर यह भी हो सकता है कि एक फूल
उससे काँटे से होने वाली
अपनी रोज़ रोज़ की लड़ाई के
बारे में बतिया रहा हो
या कि रामगिरि पर्वत से
चल कोई हवा
उसके फ़ोन से होकर आ रही हो।
याकि चातक, चकवा, चकोर उसे
बार-बार फ़ोन कर रहे हों

यह भी सम्भव है कि
कोई गृहणी रोटी बनाते वक़्त भी
उससे बातें करने का लोभ संवरण
न कर पाये
और आपके फ़ोन से उसका फ़ोन टकराये
आपका फ़ोन कट जाये

हो सकता है उसका फ़ोन
आपसे ज़्यादा
उस बच्चे के लिए ज़रूरी हो
जो उसके साथ हँस-हँस
मलय नील में बदल जाना चाहता हो
वह गा रही हो किसी साहिल का गीत

या हो सकता है कोई साहिल उसके
फ़ोन पर, गा रहा हो
उसके लिए प्रेमगीत
या कि कोई पपीहा
कर रहा हो उसके फ़ोन पर
पीउ-पीउ
आप फ़ोन करें तो कोई ज़रूरी
नहीं कि
उसका फ़ोन ख़ाली हो।

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Book by Badrinarayan:

बद्रीनारायण
जन्म: 5 अक्टूबर 1965, भोजपुर, बिहार. कविता संग्रह: सच सुने कई दिन हुए, शब्दपदीयम, खुदाई में हिंसा. भारत भूषण पुरस्कार, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, शमशेर सम्मान, राष्ट्र कवि दिनकर पुरस्कार, स्पंदन सम्मान, केदार सम्मान