‘Aatmmugdh’, a poem by Rakhi Singh

फूल जो सबसे सुन्दर हो
मैं उसे नहीं तोड़ती

अपनी लिखी सबसे निकटतम चिट्ठी
कभी नहीं डाली डाक में
अब तक की अपनी सबसे प्रिय कविता
नहीं पढ़ायी किसी को

मेरे आँसू किसी ने नहीं देखे
मेरे अपने चुने हुए एकांत हैं,
वो कोने, जिनके कंधे पर सिर रखकर रोयी हूँ
उन्हें भी नहीं बताया रोने का कारण

मेरी अपनी खींची अदृश्य लकीरें हैं
मेरे भीतर की बारिशें
केवल मेरी हैं
मैं नहीं पूछूँगी तुमसे
तुम कितने और कब से यूँ सूखे हो

जाने क्या क्या जमा कर रखा है
ये भी कि याद बहुत आते हो
मगर जताऊँ क्यों?
बताना अच्छा नहीं लगता
मैं, तुमसे ही छुपाऊँगी तुम्हारे बाबत
क्यों बताऊँ?
कि प्यार है!

मेरा कोई ऐसा संगी नहीं जिसके समक्ष
खोल दूँ सारे पत्ते
तुम निश्चिन्त रहना!
तुम्हारा नाम मैं किसी से नहीं कहूँगी।

यह भी पढ़ें: इंदु जैन की कविता ‘मैं तुम्हारी ख़ुशबू में पगे’

Recommended Book:

Previous articleजब माँ असहाय हो
Next articleअंतर्व्यथा (नीचे के कपड़े)

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here