इससे पहले कि
अक्षुण्णताओं के रेखाचित्र ढोते
अभिलेखागारों के दस्तावेज़ों में
उलटफेर कर दी जाए,
उन सारी जगहों की
शिनाख़्त होनी चाहिए
जहाँ बैठकर
एक कुशल और समृद्ध समाज की
कल्पनाओं के स्वांग रचे गए,
पीठासीन पदाधिकारियों ने
गाल बजाए और
प्रलोभनों के चुम्बकीय आकर्षण में
काठ के बगुलों ने
चोंच के बल खड़े होकर
दोनों पंजों से तालियाँ पीटीं
उन जगहों को हिंसक बताया जाना चाहिए
कनबहरे कार्यालयी दीमकों ने
जिन जगहों पर दुर्भिक्षों की
याचना पत्रिकाएँ चाट खायीं,
जो अजीर्ण रहा
उनको चबाकर आए दिन
तेज़ाब की तरह
असहायों की गिरी हुई देह पर थूकते रहे
उन जगहों पर अजायबघर बनाए जाने चाहिए
अदायगियों के अदद पर
जिन जगहों पर पगड़ियाँ गिरीं और
उनके गिरने से वहाँ की
ज़मीन थोड़ी धँस गई,
जहाँ प्रामित्यों का समतल आज भी
पगड़ियों की छाप नहीं मिटा पाया
और यह जल्द से जल्द होना चाहिए क्योंकि
पगड़ियों का द्रव्यमान
ईश्वर की मूर्तियों से ज़्यादा होता है,
और इतिहास पगड़ियों की जगह
सिर पर पनही रखकर
ड्योढ़ियों के सामने से
गुज़रने के बारे में नहीं बताता।