‘Amaratv’, a poem by Rahul Boyal

तुम्हारे नैनों के दोनों बर्फ़ीले पहाड़ों पर
एक आँख वाली दो बेचैन काली चिड़ियाएँ बैठी हैं
जिनकी आँख में मैं रोशनी की तरह सेंध करता हूँ
तो वो चहचहाने लगती हैं।

तुम्हारी आत्मा के दुःख को
मैं मज़दूर की तरह ढोता हुआ
एक दिन बूढ़ा हो जाऊँगा
झुर्रियाँ रेत पर पड़े कदमों के निशान की तरह
मेरे पूरे बदन में धँस जाएँगी

तुम्हारे प्रेम का विवर ही वह सुरंग है
जिससे दुनिया के मायाजाल से निकलकर
दूसरी दुनिया में प्रवेश पाया जा सकता है।

एकान्त की जो रातें मुझ पर सैलाब बनकर टूटेंगी
उनमें मैं अपने आप से विलग हो
तुम्हारी तहों में छुप जाऊँगा
जहाँ दुःखों के एक अथाह समुद्र में डूबकर
आत्महत्या का प्रयास करूँगा

मैंने जिन रास्तों से प्रकाश बनकर प्रवेश किया था तुम्हारे भीतर
उन रास्तों पर यदि ख़ुद का एक क़तरा भी पा जाऊँगा
तो मुझे अमरत्व मिल जायेगा।

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Books by Rahul Boyal:

 

 

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राहुल बोयल
जन्म दिनांक- 23.06.1985; जन्म स्थान- जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं( राजस्थान) सम्प्रति- राजस्व विभाग में कार्यरत पुस्तक- समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता - संग्रह) नष्ट नहीं होगा प्रेम ( कविता - संग्रह) मैं चाबियों से नहीं खुलता (काव्य संग्रह) ज़र्रे-ज़र्रे की ख़्वाहिश (ग़ज़ल संग्रह) मोबाइल नम्बर- 7726060287, 7062601038 ई मेल पता- [email protected]

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