कैसा होगा वह दुःख
जिसके आँसू
किसी बहर को निभाते
कोरों से फिसलेंगे

कौन-सा होगा वह सुख
जहाँ खिलखिलाहट के
प्रथम चरण की ग्यारहवीं गूँज
लघु हो जाएगी

किस से होगा वह प्रेम
वर्णों के निश्चित क्रम
में ही सिमटा हुआ

किस ओर से बहती है
समान यति पर ठहर
फिर-फिर हवा

क्योंकर लिख दूँ
छंद-बद्ध अहसास,
जीवन में कब निश्चित है
सुख और दुःख की मात्रा

हर पल आ चकित करता है
अतुकान्त क्षणिका-सा,
हर पल अपने में एक
नयी कविता है।

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डॉ. निधि अग्रवाल
डॉ. निधि अग्रवाल पेशे से चिकित्सक हैं। लमही, दोआबा,मुक्तांचल, परिकथा,अभिनव इमरोज आदि साहित्यिक पत्रिकाओं व आकाशवाणी छतरपुर के आकाशवाणी केंद्र के कार्यक्रमों में उनकी कहानियां व कविताएँ , विगत दो वर्षों से निरन्तर प्रकाशित व प्रसारित हो रहीं हैं। प्रथम कहानी संग्रह 'फैंटम लिंब' (प्रकाशाधीन) जल्द ही पाठकों की प्रतिक्रिया हेतु उपलब्ध होगा।

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