‘Behnon Ke Geet’, a poem by Amar Dalpura
माँ के गीतों में गंगा बहती है
“गंगाजी के घाट पै..
एक कन्या जन्मी, हो राम..
कन्या जन्मी मौज की
एक भाई भी जन्मा, हो राम…”
बहन के गीतों में भाई रहता है
वह फाल्गुन के महीने में,
होली के खेलों में
अपनी सहेलियों के साथ गाया करती है
भाई की ख़ुशी के लिए जीवन के गीत
जैसे कि भाई की नौकरी
उसकी ही तरक्की है
भाई का सपना, उसका एकमात्र सपना है
परिचय के इतिहास में
ख़ुद को इस तरह ख़त्म कर लेती है
मैं उसकी बहन हूँ, बेटी हूँ, पत्नी हूँ
और उस बेटे की माँ हूँ
जो इस साल कलेक्टर बना है
भाई का कोई गीत नहीं होता
बहनों का कोई घर नहीं होता
जैसे एक भाई, बहन की विदाई के समय,
दहेज का दुखड़ा रो रहा था।
पिता के गीतों में बैल और खेत के बीच,
रोटी का संघर्ष देखा है
हम आमतौर पर समझ नहीं पाए
इन गीतों का अर्थ क्या है?
यह भी पढ़ें: ‘अंकल, आई एम तिलोत्तमा!’