‘Chitthi’, a poem by Amandeep Gujral

स्कूल में मेरी एक किताब
मेरे डेस्क से ग़ायब हो जब वापस लौटी
तो साथ में एक चिट्ठी भी लायी थी
उसमें साफ़-सुथरे शब्दों में लिखा था
‘आई लव यू’
बहुत सम्भालकर रखा उसे
जिल्द के अन्दर छुपाकर
लेकिन
माँ की आँखों में कुछ ऐसा होता है
जो देख लेता है वो सब भी जो हम दिखाना नहीं चाहते
और हाथों में जादू
जो ढूँढ लेता है वो सब भी जो हम छिपाना चाहते हैं
बातों-बातों में बहुत सी नसीहतें देती है
पता है इस उम्र में लड़के थोड़ा बदमाश हो जाते हैं
कभी गाना गाते हैं तो कभी चिट्ठी भिजवाते हैं
चिट्ठी अभी भी वहीं है
जिल्द के नीचे, पर फिर भी
बातों-बातों में ही पूछ लेती है वो चलते-फिरते
तुझे किसी ने चिट्ठी लिखी है?

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