बहुत देर है
बस के आने में
आओ
कहीं पास की लॉन पर बैठ जाएँ
चटखता है मेरी भी रग-रग में सूरज
बहुत देर से तुम भी चुप-चुप खड़ी हो
न मैं तुमसे वाक़िफ़
न तुम मुझसे वाक़िफ़
नयी सारी बातें, नये सारे क़िस्से
चमकते हुए लफ़्ज़, चमकते लहजे
फ़क़त चन्द घड़ियाँ
फ़क़त चन्द लम्हे
न मैं अपने दुख-दर्द की बात छेड़ूँ
न तुम अपने घर की कहानी सुनाओ
मैं मौसम बनूँ
तुम फ़ज़ाएँ जगाओ!

निदा फ़ाज़ली की नज़्म 'ख़ुदा का घर नहीं कोई'

Book by Nida Fazli:

निदा फ़ाज़ली
मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली या मात्र 'निदा फ़ाज़ली' हिन्दी और उर्दू के मशहूर शायर थे। इनका जन्म १२ अक्टूबर १९३८ को ग्वालियर में तथा निधन ०८ फ़रवरी २०१६ को मुम्बई में हुआ।