सूरज चोरी चला गया है,
एक जिस्म से ग़ायब है रीढ़ की हड्डी।
सत्य, अहिंसा, न्याय, शांति
सब किसी परीकथा के पात्र हैं शायद
और उम्मीद गूलर के फूल सरीखी कोई किंवदंती

धर्म सबसे चमकीला तारा है
जिसने ले रखी है सूरज की ख़ाली जगह
क्योंकि अब रौशनी नहीं, ज़रूरत है आग की

जंगल सभ्य हैं और सभ्यताएँ क्रूर
सारी हथेलियाँ ‘लेडी मैकबेथ’ की हथेलियाँ हैं
और सारी आँखें ‘गाँधारी’ की आँखें

शायद यह दुनिया
किसी सोए हुए ईश्वर का एक डरावना स्वप्न है

ईश्वर आख़िर जागता क्यों नहीं?

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