‘Itihas Ka Bhoot’, a poem by Asheesh Tiwari

इतिहास के प्रति घृणा फैलाने वाला,
उसे नकारने वाला,
तब भयभीत हो जाता है,
जब उसके सजाये रंगीन मंचों पर
इतिहास मुँह चिढ़ाने लगता है

इतिहास के आख्यान गम्भीर और चिंतनपरक होते हैं
इनका मज़ाक उड़ाने वाला
मदारी जैसा दिखने लगता है
कभी-कभी उसका हाथ
अपने से बड़े मदारी के हाथ में जाता है
तो वह ख़ुद को मदारी के बंदर जैसा उछलता भी पाता है

इतिहास आईना है
जितना धूमिल करोगे
उतने भटके हुए लगोगे वैश्विक मंचों पर

जितना लादोगे इतिहास पर भार
गाँधी, नेहरू तुम्हें भूत की तरह डराते रहेंगे
तुम्हारे सजे मंचों पर बार-बार आएँगे
और तुम भीतर ही भीतर बौने हो जाओगे
तब इतिहास हँसेगा तुम पर…

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आशीष कुमार तिवारी
जन्म : 20 मार्च 1993, इलाहाबाद। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आधुनिक हिंदी कविता पर शोधरत। 2022 में प्रकाशित पहला काव्य-संग्रह 'लौह-तर्पण' वैभव प्रकाशन, रायपुर, छ. ग. से। 'अक्षर पर्व', 'छत्तीसगढ़ मित्र', 'देशबन्धु दैनिक अखबार', 'वागर्थ', 'समकालीन जनमत', 'हिमांजलि', 'कथा', 'अकार अंक 55', 'बनास जन' अंक 38 व 'पक्षधर' पत्रिका में कविताएं प्रकाशित। मो. 9696994252 7905429287 ईमेल. [email protected]

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