प्राण
आयु की छोटी-बड़ी पगडण्डियों से गुज़रता हुआ
एक प्रेमी
जो बन्द है जीवन की जेल में
आख़िर छूटेगा एक दिन
पा लेगा अपना प्रेम
जीवन के अन्तिम क्षण में।
मृत्यु
प्राण की प्रतीक्षा करती
एक प्रेयसी
जिसकी आँखों में धँसा है
ईश्वर का विश्वास
जो लौटाएगा उसका प्रेम
जीवन के अन्तिम क्षण में।
ईश्वर
जो रचता है मृत्यु व प्राण के वियोग की
एक कहानी
फिर जन्म-मरण के बीच में आकर
खो जाता है नींद में
और जागता है
जीवन के अन्तिम क्षण में।
जीवन
ईश्वर का रचा हुआ माया-महल
जहाँ आकर लेता है वो विश्राम
और देखता है
एक स्वप्न
जिसमें अनुभूत है मिलन की तड़प
जिसको पाएँगे प्राण व मृत्यु
जीवन के अन्तिम क्षण में।