एक चीख़ लिखनी थी
एक बच्चे की चीख़
अरबी में, तुर्की में
यिद्दिश में, यैंकीस्तानी में
असमिया, हिन्दी, गुरमुखी में

चिथड़े उड़े बाप और
ऐंठी पड़ी माँ
के बीच उठी
बच्चे की चीख़—सिर्फ़ एक चीख़

आज अकेले में कोशिश करना
लिखना
बच्चे की चीख़—बस एक
अपनी-अपनी मादरी ज़बान में

कल हम कहीं न कहीं इकठ्ठा होंगे
झुलसे हुए हाथ मिलाने…!

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