Tag: Indu Jain

Indu Jain

‘चलो’—कहो एक बार

'चलो' कहो एक बार अभी ही चलूँगी मैं— एक बार कहो! सुना तब 'हज़ार बार चलो' सुना— आँखें नम हुईं और माथा उठ आया। बालू ही बालू में खुले पैर, बंधे हाथ चांदी की जाली...
Indu Jain

तीन औरतें

एक औरत जो महीना-भर पहले जली थी आज मर गयी एक औरत थी जो यातना सहती रही सिर्फ़ पाँव की हड्डी टूट जाने से बहाना ढूँढ बैठी न जीने का दिल जकड़...
Indu Jain

लड़की

गणित पढ़ती है ये लड़की हिन्दी में विवाद करती अंग्रेज़ी में लिखती है मुस्कुराती है जब भी मिलती है ग़लत बातों पर तनकर अड़ती खुला दिमाग़ लिए ज़िन्दगी से निकलती है ये लड़की अगर...
Indu Jain

बच्चा

औरत के सिर पर गठरी है कमर पर बच्चा मर्द हाथ में बक्सा लटकाए है। बच्चा रो रहा है लगातार हाथ-पाँव पटक रहा बार-बार। औरत के समझाने मर्द के झुँझलाने के बावजूद वह...
Indu Jain

इधर दो दिन लगातार

इधर दो दिन लगातार तुमसे मिलने के बाद लगा कि हमारे अचानक-बँधे सम्बन्धों में मीठी नरम घास उगने लगी है। यह लगने लगा कि इसकी ठण्डी हरियाली ही थी वह— जिसके लिए...
Indu Jain

मैं तुम्हारी ख़ुशबू में पगे

'Main Tumhari Khushbu Mein Page', a poem by Indu Jain मैं तुम्हारी ख़ुशबू में पगे अपने आँचल से डर गयी हूँ, साँप की तरह गुंजलक में लपेट दंश कर...
Indu Jain

कोशिश

एक चीख़ लिखनी थी एक बच्चे की चीख़ अरबी में, तुर्की में यिद्दिश में, यैंकीस्तानी में असमिया, हिन्दी, गुरमुखी में चिथड़े उड़े बाप और ऐंठी पड़ी माँ के बीच उठी बच्चे की चीख़—सिर्फ़...
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